#SatnamSakhi_PremPrakashi_AmrapurAsthan
Lyrics By Satguru Swami Bhagat Prakash Ji Maharaj
शब्द (मन्त्र) सत्गुरु देव का आनंद का भण्डार है।
भाव (प्रेम) रख मन में जपे जो उसका बेड़ा पार है।।
1.अक्षरों का जोड़ केवल ना समझना भूलकर।
इसमें सद्गुरु देव की है भरी शक्ति प्रखर ।
सर्व मंगल मूल है यह वेद का सत् सार है ।।
2. जीवनी शक्ति से खाली शब्द जग के शून्य है।
पर महा मंतर गुरु का दिव्य है चैतन्य है।
कालिमा मन की हटाकर मेटता अंधकार है।।
3. कल्पतरु चिंतामणि सम आश सब पूरण करे।
आधि व्याधि उपाधि हर के अखण्ड आनंद उर भरे।
सतगुरु का शब्द भव सागर से तारण हार है।।
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